वनस्पति विभाग का पर्यावरण के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय पहलू पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी प्रारंभ
पर्यावरण संरक्षण में छोटा सा योगदान भी है महत्वपूर्ण -श्री खूबचंद पारख
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के तत्वावधान में पर्यावरण के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय पहलू पर केन्द्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी प्रारंभ हुई। मुख्य अतिथि 20 सुत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री खूबचंद पारख थे। अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य डाॅ.हेमलता मोहबे ने की। विशिष्ट अतिथि डाॅ.एम.पी.ठाकुर, डाॅ.एस.के.व्ही प्रसाद डाॅ.आर.एन.गांगुली एवं डाॅ.टी.श्रीनिवासु थे।
स्वागत उद्बोधन मंे प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ और मनुष्य की बढ़ती लालसा के चलते हमारा पर्यावरण एक बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। कहीं न कहीं हम अपनी जवाबदारी से अलग होते जा रहे हैं। ऐसे हालात में पर्यावरण पर सही संदर्भ में विचार करने और सही समय में, सही कदम उठाने की सख्त जरूरत है। संगोष्ठी में इस पर मंथन किया जायेगा। आयोजन सचिव प्रो.सोनल मिश्रा ने विषय प्रवर्तन करते हुए पर्यावरण का संगठन करने वाले तत्वों की महत्ता पर विशिष्ट जानकारी दी। संचालन करते हुए डाॅ.प्रमोद महीष ने चर्चा के बिन्दुओं की जानकारी दी।
उक्त जानकारी देते हुए आयोजन के प्रेस संयोजक डाॅ.चन्द्रकुमार जैन ने बताया कि मुख्य अतिथि श्री खूबचंद पारख तथा सभी अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन तथा माँ सरस्वती पूजन कर गरिमामय समारोह में संगोष्ठी का शुभारम्भ किया। प्रमुख संबोधन में श्री पारख ने प्रेरक अंदाज में कहा कि अपने समय तथा समाज की व्यवस्था और उसे प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने में प्रत्येक व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण होता है। जिस प्रकार कभी कहीं आग लग जाने पर उसे बुझाने की कोशिशों में एक चिड़िया भी यदि अपनी चोंच में पानी की कुछ बुंदे भरकर योगदान करे तो उसे नजर अंदाज नही किया जा सकता उसी प्रकार हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए किया गया हर छोटे से छोटा योगदान भी अपनी अहमियत रखता है।
श्री पारख ने आगे कहा कि मानवता के भविष्य के लिए पर्यावरण प्रदूषण को दूर करना और स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण वर्तमान समय की बहुत बड़ी मांग है। हम लगातार दोषारोपण कर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। हमें लागों की कमजोरियाँ बताने के बदले स्वयं सोचना चाहिए कि जिस प्रकृति और पर्यावरण ने हमें सब कुछ दिया है, उसके लिए हमने अब तक क्या किया है। हम तय करें कि अब जिन्दगी से ज्यादा खिलवाड़ नहीं करेंगे। हमारे हर निर्णय और हर पहल का अलग महत्व है।
श्री पारख ने प्रतिभागियों से कहा कि वे सेमीनार को बोझिल नही बल्कि रोचक बनाएँ। ऐसे विचार व्यक्त करें और ऐसी भाषा में व्यक्त करें, जो समझने व समझाने में आसान हो और जिसके सार्थक परिणाम भी प्राप्त हो सकें। अध्यक्षता कर रही डाॅ.हेमलता मोहबे ने कहा कि आज पर्यावरण विश्व स्तर पर चिन्ता का कारण बन रहा है। परंतु हमें चिन्ता के स्थान पर चिंतन करना होगा तभी सही प्रयत्न एवं ईमानदार समर्पण के दम पर नई वैज्ञानिक चेतना का समावेश कर हम अपनी धरती, पानी, हवा को बचा सकेंगे।
दो दिवसीय सगोष्ठी के पहले दिन विषय विशेषज्ञ डाॅ.एम.पी.ठाकुर, प्रो.टी.श्रीनिवासु एवं डाॅ.लाल सिंह ने पर्यावरण के विभिन्न पक्षों पर अपना प्रस्तुतिकरण एवं वक्तव्य दिया। अनेक आगन्तुक प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़ा और प्रस्तुतिकरण के माध्यम से अपना दृष्टिकोण सामने रखा। आयोजन सचिव प्रो.सोनल मिश्रा ने समिति की तरफ से सबका आभार माना।