वनस्पतिषास्त्र एवं माइक्रोबायोंलाॅजी विभाग
वार्शिक प्रतिवेदन -2015.16
वनस्पतिषास्त्र परिशद् का गठन:-
वनस्पतिशास्त्र विभाग में सर्वोच्च अंको के आधार पर वनस्पतिशास्त्र परिषद का गठन किया गया दिनांक 09/09/2015 को परिषद का उदघाटन समारोह आयोजित किया गया डाॅ आर.एन. सिंह के मार्गदर्शन में मनोनित विद्यार्थीयों के नामो की घोषणा विभागाध्यक्ष डाॅ अनिता महिश्वर के द्वारा किया गया इसमें एमएससी के प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के समस्त विद्यार्थी उपस्थित थे। उपस्थित विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु संकल्प लिया इस अवसर पर डाॅ. चन्द्रिका नाथवानी, प्रो. उषा ठाकुर, प्रो. प्रीतिबाला टांक, प्रो. सोनल मिश्रा, प्रो. निलिमा पाण्डे, डाॅ. किरण जैन, डाॅ. शमा अफरोज बेग, डाॅ. हेमलता रावटे, कु. अंशु गुप्ता, अरुण साहू उपस्थित थे। परिषद के सदस्य निम्न हैः-
1. अध्यक्ष – मिलन अग्रवाल
2. उपाध्यक्ष – रोशनी देवांगन
3. सचिव – वेणु वर्मा
4. सह-सचिव – लीना साहू

छात्र संख्या वनस्पतिषास्त्र –
कक्षा छात्र की संख्या
बी.एस.सी. – 245
बी.एस.सी. – 177
बी.एस.सी. – 113
एम.एस.सी  Previous. – 20
एम.एस.सी Final – 20

छात्र संख्या माइक्रोबायोलाॅजी –
कक्षा छात्र की संख्या
बी.एस.सी. – 50
बी.एस.सी. – 25
बी.एस.सी. – 07
एम.एस.सी  Previous – 10
वनस्पतिषास्त्र विभाग में व्याख्यान माला –

ऽ डाॅ. जी.के. चद्रौल – सहायक प्राध्यापक वनस्पतिषास्त्र कल्याण महाविद्यालय भिलाई
ने वनस्पतिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान माला में अपने व्याख्यान में आवृतबीजी पौधो का वर्गीकरण विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्गीकरण की आवश्यकता बताई। वर्गीकरण की पद्धतियों के प्रकार बताए जिसमें 01 कृत्रिम पद्धति, 02 प्राकृतिक पद्धति, 03 जातिवृतीय पद्धति को विस्तार से बताया इसके पश्चात, बेन्थम एवं हुकर की वर्गीकरण पद्धति, एंगलर एवं प्रान्टल की वर्गीकरण पद्धति, हचिन्सन की वर्गीकरण पद्धति को विस्तार से बताया एवं इन पद्धतियों के गुण एवं दोषों पर विशेष ध्यान आकार्षित किया, अंत में मार्डन सिस्टम आफ क्लासिफिकेशन को विस्तार से बताया तथा वर्गीकरण किस तरह से लिखना है इसकी सरल विधि को बताया प्रो. चंद्रौल ने वनस्पति शास्त्र उद्यान में उपस्थित विभिन्न पौधों के नाम एवं पहचान भी करवाई

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डाॅ. जी.के. चद्रौल व्याख्यान देते हुए

ऽ प्रो. संजय कुमार मिश्रा – सहायक प्राध्यापक वनस्पतिषास्त्र षासकीय
महाविद्यालय चारामा बस्तर
ने अपना व्याख्यान श्क्पअमतेपजल व िसिवूमतपदह च्संदजेश् पर दिया उन्होंने व्अंतल एवं ब्ंतचमस के क्मअमसवचउमदज को विस्तार से बताया उन्होंने थ्सवूमतपदह के प्रकार, ंमेजपअंजपवद या विन्यास, पुमंग के प्रकार, जायांग के प्रकार, जरायु विन्यास के प्रकार को बताया तथा परिवर्धन, एवं फलों के प्रकार को बताया पादप विश्लेषण से संबंधित संकेतकों को बताया, पुष्प चित्र एवं पुष्पीय सूत्र को किस सरल विधि से बनाया एवं लिखा जा सकता है बताया इसके पश्चात पौधें के विभिन्न अंगो में होने वाले रुपान्तरण को भी विस्तार से बताया विद्यार्थियों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए-

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प्रो.संजय मिश्रा विद्यार्थियों को समझाते हुए

ऽ डाॅ. (श्रीमती) संध्या लांजेवार -सहायक प्राध्यापक वनस्पतिषास्त्र षासकीय
महाविद्यालय, कोहका नेवरा

ने अपना व्याख्यान श्ठतलवचीलजंश् पर दिया, सबसे पहले ठतलवचीलजं के सामान्य लक्षण एवं वर्गीकरण को बताया इसके पश्चात ठतलवचीलजं की ंसहंम एवं च्जमतपकवचीलजं से समानताएं एवं विषमताएं बताई बायोफाइटा में वर्धी प्रजनन को विस्तार से बताया तत्पश्चात ठतलवचीलजं के उदभव की विभिन्न परिकल्पनाओं को बताया। पहले ठतलवचीलजं के वर्धी संरचना फिर बिजाणुओं के प्रकीर्णन की विधि बताई गई। विभिन्न उदाहरणों के साथ परिवर्धन एवं आर्थिक महत्व एवं विकास अवस्था को विभिन्न चित्रों की सहायता से बताया।

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डाॅ. (श्रीमती) संध्या लांजेवार व्याख्यान देते हुए

ऽ डाॅ. सतीष कुमार सेन – सहायक प्राध्यापक वनस्पति षास्त्र षासकीय
महाविद्यालय, बेमेतरा

ने अपना व्याख्यान ष्च्जमतपकवचीलजंष् पर दिया उन्होंने टेरिडोफाइटा के विशिष्ट लक्षण एवं वर्गीकरण को बताया टेरिडोफाइटा में पिढ़ियों का एकान्तरण, टेरिडोफाइटा की अन्य पादप समूहों से बंधुत्व, टेरिडोफाइटा एवं ब्रायोुाइटा में अन्तर, जिम्नोस्पर्म के साथ अन्तर को बताया टेरिडोफाइटा में रम्भ प्रणाली का सामान्य परिचय दिया, रम्भ के प्रकार बताये जिसमें प्रोटोस्टील-हेप्लोस्टील, एक्टीनोस्टील, प्लेक्टोस्टील, मिश्रित प्रोटोस्टील बताये साइफोनोस्टील, सोलेनोस्टील, डिक्टियोस्टील पालीसाइक्लीक या बहुचक्री स्टील को विस्तार से समझाया साइलोफाइटा के अंतर्गत-राइनिया का विस्तार से वर्णन किया दोनो प्रकार के राइनिया बताये तथा राइनिया के युग्मकोदभिद को समझाया तथा अन्य पादप समूह के साथ बन्धुता को बताया।

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डाॅ. सतीश कुमार जैन व्याख्यान देते हुए
ऽ डाॅ. (श्रीमती) प्रज्ञा कुलकर्णी -सहायक प्राध्यापक वनस्पतिषास्त्र षासकीय
व्ही.वाई.टी.पी.जी.महाविद्यालय, दुर्ग

ने अपना व्याख्यान म्यूटेशन एवं बायोस्टेटस्टिक पर दिया उन्होंने म्यूटेशन में इसके प्रकार स्व सह एवं उत्प्रेरित म्यूटेशन को बताया म्यूटेशन में होने वाले परिवर्तन गुणसूत्रीय, सोमेटिक, जीन उत्परिवर्तन बताया तत्पश्चात-उम्परिवर्तन को समझाया जिसमें विकिरण, रसायन एवं आयु प्रभाव को बताया उत्परिवर्तन पर वातावरण का प्रभाव बताया रासायनिक उत्परिवर्तन के बारे में भी बताया।
ठपवेजंजंेजपबे में परिचय, डाटा का प्रस्तुतीकरण एवं उसके उपयोग, शोध कार्य के लिए बताया-डमंदएडवकमएडमकपंउए ैजंदकंतक क्मअपंजंपवद को विस्तार से बताया एनोवा, मिेजए बींप ैुनंतम जमेज एवं मगचमतपउमदजंस कमेपहद को विस्तार से बताया।

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डाॅ.(श्रीमती) प्रज्ञा कुलकर्णी व्याख्यान देते हुए

ऽ डाॅ. ए.के.श्रीवास्तव – सहायक प्राध्यापक वनस्पति षास्त्र षासकीय
डी.टी.महाविद्यालय, तिलई

डाॅ. श्रीवास्तव ने अपना व्याख्यान जीनोमिक्स एवं प्रोटियोमिक्स पर दिया उन्होंने जीनोम सीक्वेन्सिग प्रोजेक्ट, मेयड आफ जीन सीक्वेन्सिग, डायरेक्ट एवं रेन्डम सीक्वेन्सींग के बारे में बताया तत्पश्चात उन्होंने जीन प्रीडक्शन एवं जीन काउन्टींग, टाइप्स आफ जीनोमीक्स का फ्यूचर क्या है इसके बारे में बताया तत्पश्चात प्रोटीयोमिक्स में अपना व्याख्यान दिया जिसमें जीन एवं प्रोटीन के मध्य संबंध के बारे में बताया प्रोटियोमिक्स के प्रकार बताये जिसके अंतर्गत-एक्सप्रेशन, स्ट्रक्चरल एवं फंक्शनल प्रोटियोंमिक्स के बारे में बताया अंत में जीनोमिक्स एवं प्रोटिक्स का महत्व एवं उपयोगिता बताई गई।

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डाॅ. ए.के.श्रीवास्तव व्याख्यान देते हुए

ऽ डाॅ. (श्रीमती) भावना पाण्डे – सहा. प्राध्यापक माइक्रोबायोलाजी एवं
वनस्पतिषास्त्र महिला महाविद्यालय, भिलाई

माइक्रोबायोलाजी एवं वनस्पति शास्त्र स्नातकोत्तर कक्षा के विद्याथर््िायों को श्स्ंब वचमतवद बवदबमतज श् विषय एवं श्ळमदम मगचतमेेपवदश् पर व्याख्यान दिया उन्होंने प्रोटीन सष्लेषण का नियमन, प्रेरक एवं सहदमनकर, आपेशन माॅडल में आपरेटर जीन, प्रमोटर जीन एवं स्ट्रक्चरल जीन का कार्य बताया। रेगुलेटर जीन तथा दमनकर में प्रेरणीय तन्त्र, दमनशील तंत्र ताकि पुनर्भरण निरोध के बारे में विस्तार से बताया।
जीन एक्सप्रेशन में सहयोग प्रभावी फैक्टर्स के बीच पारस्परिक क्रिया, अनुपूरक कारक, प्रबलता, अप्रभावी प्रबलता, सदमक जीन, इनहीबीटरी फैक्टर का प्रभाव, डुप्लीकेट फेक्टर, बहुमूलक पैत्रागति को विस्तार से समझाया इसके अलावा योगात्मक जीन्स, रुपान्तरक जीन्स, घातक फैक्टर, घातको की वैध्यता तथा जीन का प्लीओट्रापीक प्रभाव को भी समझाया।

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डाॅ भावना पाण्डेय व्याख्यान देते हुए
ऽ डाॅ एस. चंद – नई दिल्ली
प्रो. चंद ने अपना व्याख्यान बायोटेक्नोलाॅजी के अंतर्गत दिया उन्होने बायोटेक्नोलाॅजी का आधरभूत स्तंभ वनस्पतिशास्त्र को बताया उन्होने इसके लिए कहा कि बिना प्रायोगिक ज्ञान के विज्ञान की कल्पना नही कि जा सकती। उन्होने बायोटेक्नोलाॅजी के महत्व पर और अनुप्रयोग पर विशेष प्रकाश डाला।

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प्रो. चंद व्याख्यान देते हुए

रुसा के अंतर्गत वनस्पतिशास्त्र विभाग में श्री शशीमोहन सिंह (एएसपी) का व्याख्यान –

शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के वनस्पतिशास्त्र विभाग में रुसा के अंतर्गत कैरियर काउन्सलिंग पर व्याख्यान आयोजित किया गया जिसमें मुख्य वक्ता श्री शशीमोहन सिंह ने सहज शब्दो में प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के गुर बताए। उन्होने कहा कि आप जीवन के ऐसे मोड़ पर है, जहां आप को सोचना है कि आपको किस क्षेत्र में जाना है। कृषि, व्यवसाय या नौकरी। नौकरी के क्षेत्र मे कैरियर बनाना है तो किस क्षेत्र में प्रायवेट या शासकीय। अगर आपको बैकिंग या रेल्वे के क्षेत्र मे जाना है तो आपको गणित, अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान, मानसिक योग्यता पर ध्यान देना होगा। आपको सिविल सेवा के क्षेत्र में जाना है तो विषय पर ज्यादा ध्यान देना होगा। जीवन में सफलता के लिए टाईम मेनेजमेंट का होना जरुरी है जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए सही निर्णय, आत्मविश्वास और जुनून का होना आवश्यक है। जीवन में सफलता के लिए भावनाओं के भवर जाल से उपर उठकर अपने पर नियत्रण रखना होगा। कार्यक्रम में संचालन प्रो. नीलिमा पाण्डेय तथा आभार प्रदर्शन डाॅ किरण जैन ने किया। इस अवसर पर डाॅ शमा अफरोज, कु. अंशु गुप्ता, श्री अरुण साहू एवं एमएससी के समस्त छात्र/छात्राएं उपस्थित थे।

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श्री शशीमोहन सिंह वनस्पतिशास्त्र विभाग में
वनस्पतिषास्त्र विभाग का षैक्षणिक भ्रमण -लखनऊ
दिनांक 05/01/2016 को स्नातकोत्तर कक्षा हेतु शैक्षणिक भ्रमण बेनवा एक्सप्रेस लखनऊ व्हाया कानपुर रवाना हुए दिनांक 06/01/2016 को लखनऊ पहुंचे भ्रमण दल में सदस्यों की संख्या 40 थी। भ्रमण दल का नेतृत्व डाॅ.अनिता महिश्वर ने किया दल के सदस्य नेहरु युवा केन्द्र लखनऊ में रुके दिनांक 07/01/2016 को भ्रमण दल बस से ठैप्च् के लिए रवाना हुआ।
बीरबल साहनी संस्थान में डाॅ. मुकुन्द शर्मा ने संस्थान का भ्रमण कराया यहा ऐतिहासिक पौधें के अवशेष ठपवसवहपबंस बसवबाए विेेपसे गोड़वाना क्षेत्र के विेेपस को दिखाया तथा सभी चमतपवक के विेेपस को अवलोकन करवाया विेेपस निमा्रण की विधि को विस्तार से बताया।

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विद्यार्थी बीरबल साहनी इन्स्टिट्यूट आॅफ पेलियोबोटनी लखनऊ में
इसके पश्चात छठत्प् गये जहां डाॅ.विवेक श्रीवास्तव ने छठत्प् का भ्रमण कराया यहां छात्र-छात्राओं ने विलुप्त होते पौधें को देखा जो बवदेमतअंजवतल में रखे गए है यहा बोनसाई गार्डन देखा बंबजने ीवनेम देखा इसके पश्चात पौधों से निर्मित ंतज एवं बतंजि देखा पोस्टर बनाने के लिए जिन पौधों का उपयोग किया जाता है इसके बारे में जानकारी प्राप्त हुई जहा ीमतइंतपंउ में भी गए वहां पर उपस्थित पौधों का अवलोकन कर पौधों को उचित खनिज एवं पोषण देकर वृद्धि करने की उचित तकनीक का ज्ञान प्राप्त हुआ यहां विलुप्तीकरण की कगार पर स्थित पौधों को अच्छे से सहेज कर रखा गया है।

ठैत् – लखनऊ

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विद्यार्थी एवं स्टाफ छठत्प् में क्राफ्ट क्रियेशन विभाग में
इसके पश्चात केन्द्रीय औषधी अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण किया गया जिसमें डाॅ.संजीव यादव के मार्गदर्शन में छात्र-छात्राओं ने ळंे बीतवउंजम ंतंचील ळप्त् को देखा यहां हमें विस्तृत रुप से विभिन्न ेंउचसमे का ळप्त् द्वारा ैमचमतंजपवद देखा फिर मसमबजतवद उपबतवेबवचम को देखा तथा उसे संचालित करने की विधि अच्छे से समझाी फिर बीमउपबंस ेमबजपवद में चपहउमदज और औषधी पादपों के ेमबवदकंतल उमजंइवसपजम का ेमचंतंजपवद करके बताया गया इसके बार छडत् ेमबजपवद में किसी भी ेंउचसम या बवउचवनदक ( चाहे चसंदज हो या ंदपउंस) के उंहदमजपब पिमसक में उसके संरचना या अणु भार का ज्ञान प्राप्त हुआ।

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छात्र/छात्राएं Electron Microscope का अवलोकन करते हुए

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लखनऊ सीडी आर में NMR का अवलोकन करते हुए

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प्रो. प्रफुल्ल पाण्डया एवं प्रो. संजय यादव हरबेरियम को समझाते हुए
भ्मतइंतपनउ बमदजतम में डाॅ.पाणीग्रही ने औषधी पादप के चयन व पहखन कर उसे रासायनिक विभाग में सौपने व उन पादप से औषधी प्राप्त करने की विधि बताई।
दिनांक 08/01/2016 को भ्रमण दल लखनऊ में बड़ा इयाम एवं छोटा अयाम बाड़ा, रेसीडेन्सी, संग्रहालय कमी गेट, चिकन कारीगरी की उ़द्योग, घंटाघर, मोती मस्जिद पिक्चर हाल, बावडी, भूल भूलैया का आनंद लिया व इसके इतिहास की जानकारी प्राप्त की रात्रि में ही इलाहाबाद के लिए प्रस्थान किया।

 

विस्तार कार्यक्रम –
के अंतर्गत विभाग के विद्यार्थी प्रो. सोनल मिश्रा एवं निलिमा पाण्डे के नेतृत्व में आयुर्वेद कालेज मनकी गये थे, इसके अलावा फारेस्ट नर्सरी डोंगरगढ़ गये जहां उन्होंने चायना अमरुद, चंदन, हर्रा, बोहडा, अकलतरा, सिंदूरी, काली हल्दी, सर्पगंधा, अखगंधा, लहसूनिया, घरबेरा, कदम्ब, हथजोड़, मधुकामिनी, मिनी चांदनी, काला कनेर इत्यादि पौधों का संग्रहण किया तथा उन्हें लाकर महाविद्यालय के वनस्पति उद्यान में स्थापित किया।

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मनकी आयुर्वेद महाविद्यालय, राजनांदगांव

 

छात्र शिक्षक अभिभावक समिति –
इस समिति के अंतर्गत वनस्पतिशास्त्र विभाग में छात्र शिक्षक एवं अभिभावक की बैठक आहूत की गई थी। जिसमें विभिन्न अभिभावक उपस्थित हुए तथा उन्होने अपने पाल्य की पढ़ाई पर संतोष जताया। इसके अलावा विभाग की भी उन्होने प्रसंशा की तथा और अच्छा परिणाम आये इसके लिए ज्यादा मेहनत करने को प्रोत्साहित किया।

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अभिवावको से चर्चा करते हुए

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