दिग्विजय महाविद्यालय में जैवविकृति पर हुई व्याख्यान
देश के विभिन्न स्मारकों, धरोहरों में प्रदूषण, नमी एवं सीपेज के कारण सूक्ष्मजीव पनप जाते है जिससे इमारतों, स्मारकों की प्राकृतिक, वास्तविक छबि को नुकसान हो रहा है. विश्व के अजूबों में शामिल ताजमहल भी इससे अछूता नहीं है. सूक्ष्मजीवों से स्मारकों, धरोहरों को हो रहे नुकसान को जैवविकृति कहते है. इस महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान देनें के लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग शा. दिग्विजय महाविद्यालय ने जैवविकृति पर विगत कई वर्षों से शोध कर रही डॉ. कविता शर्मा, विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान, शा. देवेंद्र नगर कन्या महाविद्यालय रायपुर को आमंत्रित किया गया था. बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार महीश ने अतिथि प्राध्यापक का स्वागत किया एवं विषय के महत्व को बताया. अपने व्याख्यान में डॉ. शर्मा ने छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण स्मारकों, मंदिरों, धरोहरों में हो रहे जैवविकृति पर प्रकाश डाला साथ ही अपने शोध को विद्यार्थियों के मध्य साझा किया. रासायनिक एवं जैविक तरीकों से जैवविकृति सम्बंधित सूक्ष्मजीवों को समाप्त करने के सुझाव बताये. विद्यार्थियों के उन्होंने महत्वपूर्ण स्मारकों, धरोहरों में गन्दगी न फ़ैलाने सहित इनके बचाव के कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए तथा इसे अपना कर्त्तव्य समझने की बात कही. व्याख्यान में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विद्यार्थी तथा शिक्षक उपस्थित थे.