’’इतिहास विभाग में अगस्त क्रांति मनाई गई’’
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग में अगस्त क्रांति मनाई गई। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. पी.डी. सोनकर ने कहा कि क्रिप्सयोजना के असफल हो जाने तथा किप्स के द्वारा कांग्रेस को असफलता के लिए उत्तरदायी ठहराए जाने के परिणाम स्वरुप भारतीयों को निराशा हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों की नीतियों से रुष्ट होकर गांधी जी ने अपने विचारों तथा नीतियों में परिवर्तन किया और अंग्रेजों से ’’भारत छोडने’’ की अपील की। गांधी जी ने लिखा था – ’’भारत को भगवान के भरोसे छोड़ दो, यदि यह असम्भव है तो उसे अराजकता के भवर में छोड दी।’’
डाॅ. शैलेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर कहा कि 7 जून 1942 को महात्मा गांधी ने हरिजन में लिखा- ’’मैने बहुत प्रतीक्षा की कि विदेशी शासन को हटाने के लिए देश अहिंसात्मक शक्ति पैदा करे, परंतु अब मेरा विचार बदल गया है। मैं सोचता हूॅ कि अब और प्रतीक्षा नही कर सकता और प्रतीक्षा का अर्थ होगा विनाश की प्रतीक्षा, इसलिए मैने फैसला किया है कि कुछ खतरो पर भी लोग अब गुलामी का विरोध करे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इस आंदोलन का विशेष स्थान है, क्योंकि इसने भारत की स्वतंत्रता की पृष्ठभूमि तैयार कर दी तथा अंग्रेजों को भारतीयों की स्वतंत्रता की प्रबल भावनाओं से अवगत कराया। इस अवसर पर विभाग के समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थिति थे।