राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के तत्वावधान में साइबर अपराध पर केन्द्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन पुलिस महानिरीक्षक श्री अरूणदेव गौतम ने किया। डाॅ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सभागार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता प्रो.के.बी.सिंह, बिलासपुर ने की। विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य डाॅ.हेमलता मोहबे, अधिवक्ता श्री राजेश खाण्डेकर सहित आयोजन समिति के संरक्षक व प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं संयोजक प्रो.बी.एल.कश्यप, प्रो.अनिल कुमार मण्डावी मंचस्थ थे।
प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह ने प्रभावी प्रास्ताविक उद्बोधन में कहा कि यह सचमुच बड़ी चुनौती है कि 70 प्रतिशत युवा साइबर अपराध की गिरफ्त में है। इससे हमारी व्यवस्था प्रभावित होती है, विकास अवरूद्ध होता है। इस बड़ी चुनौती के कारणों और प्रभाव को समझने में यह संगोष्ठी मददगार सिद्ध होगी। डाॅ.सिंह ने कहा कि नये विषयों पर चिंतन के लिये हम नई पीढ़ी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। प्रो. अनिल मण्डावी ने विषय प्रवर्तन करते हुए साइबर अपराध के स्वरूप पर प्रकाश डाला। प्रो.विजय मानिकपुरी ने विषय के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की।
उक्त जानकारी देते हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन समिति के मीडिया संयोजक डाॅ.चन्द्रकुमार जैन ने बताया कि आज के दौर के सर्वाधिक संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण विषय साइबर क्राइम पर आयोजित उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि द्वारा माँ सरस्वती पूजन व वंदना के साथ-साथ अभ्यागत अतिथियों का भावभीना स्वागत व सम्मान किया गया। इससे पहले उच्च शिक्षा के स्वप्नदृष्टा, दानवीर महंत राजा दिग्विजय दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
मुख्य अतिथि आई.जी.श्री अरूण देव गौतम ने अपने प्रेरक और विचारोत्तेजक संबोधन में कहा कि आज सूचना संचार, कम्प्यूटर, इंटरनेट और मोबाइल का प्रभाव पूरी दुनिया की पहचान बन गया है। साइबर अपराध का क्षेत्र भी बहुत व्यापक है। इसलिए इसके अध्ययन का क्षेत्र भी किसी एक विषय तक सीमित नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि समाजशास्त्र विभाग की यह संगोष्ठी पूरी तरह से प्रासंगिक और ज्ञानवर्धक है।
श्री गौतम ने आगे कहा कि हमे जागरूक, सतर्क रहकर देखना होगा कि साइबर अपराध किस तरह हमारी जिन्दगी में दखल कर रहा है। फिर पूरी सावधानी और समझदारी से उससे बचने और मुकाबला करने के रास्ते तलाशने होंगे। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध में संलिप्त लोग आपके जीवन को संकट में डाल रहे हैं, वहीं हमारी संस्कृति पर भी प्रहार कर रहे हैं। इसलिए साइबर अपराध जागरूकता अभियान चलाया जाना समय की जरूरी मांग है। टेक्नालाॅजी को हम मालिक नही, सेवक बनाएं तभी समस्या का हम निकल सकेगा।
अध्यक्षता कर रही डाॅ.हेमलता मोहबे ने कहा कि साइबर अपराध धोखाधड़ी और आतंक का पर्याय बन गया है। इसके लिए प्रशिक्षण और इसके विरूद्ध प्रभावी प्रचार-प्रसार की जरूरत है, ताकि इस भीषण समस्या पर काबू पाया जा सके।
अध्यक्षता कर रहे प्रो.के.बी.सिंह ने कहा कि साइबर अपराध, शोध अध्ययन का नया आयाम है। हम कोशिश करें कि साइबर साक्षरता बढ़े। हमारी सुरक्षा खतरे में न पड़े। प्रो.सिंह ने यह भी कहा कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए साइबर सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा मजबूत बनाया जाना चाहिए। फोरेन्सिक साइंस से अधिक मदद मिल सकती हैं। विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता श्री राजेश खाण्डेकर ने साइबर अपराध के कानूनी पक्षों की सार्थक जानकारी दी।
अतिथि सम्मान और साहित्यिक कृति भेंट-
प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह ने समस्त अतिथियों का शाल, श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर भावभीना सम्मान किया। उद्घाटन सत्र में ही मुख्य अतिथि आई.जी.श्री अरूण देव गौतम को महाविद्यालय के प्राध्यापक डाॅ.चन्द्रकुमार जैन ने अपनी रचनात्मक कृति के साथ मूकमाटी पर लिखित बहुचर्चित शोधग्रन्थ भेंट किया।
तकनीकी सत्र में साइबर अपराध पर मंथन-
डाॅ.पी.बी.सेन गुप्ता, विभागाध्यक्ष रानी दुर्गावती वि.वि.जबलपुर, डाॅ.अश्वनी महाजन विभागाध्यक्ष वी.वाय.टी.दुर्ग, डाॅ.के.बी.सिंह, डाॅ.सपना शर्मा साईंस काॅलेज, स्वाति श्रीवास, कन्या महाविद्यालय बिलासपुर, जितेन्द्र साखरे, रानी रश्मि देवी खैरागढ़, डाॅ.चन्द्रकुमार जैन, डाॅ.एस.जेनामणी, अंकिता श्रीवास्तव, उषा सोनवानी वहीं दूसरे सत्र में डाॅ.देवनारायण साहू, दुर्गा प्रसाद राव, शंकराचार्य महाविद्यालय एडिशनल डायरेक्टर, ज्योति किरण चन्द्राकर, भूतनाथ पटेल, ठाकुर देवराज सिंह, डाॅ.एस.पी.रात्रे कमला महाविद्यालय, श्रीमती प्रियंका लोहिया, डी.बी.महाविद्यालय रायपुर, प्रमोद महीश बायोटेक्नालाॅजी, आदि लोगो ने साइबर अपराध पर मंथन किया।
अतिथियों ने आयोजन की संक्षेपिका का विमोचन भी किया। अंत में आभार ज्ञापन संयोजक प्रो.बी.एल.कश्यप ने तथा कार्यक्रम का संचालन प्रो. विजय मानिकपुरी ने किया।