राजनांदगांव। “साइबर अपराध-कारण और चुनौती ” विषय पर शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में समाज शास्त्र विभाग की दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी दूसरे दिन दो तकनीकी सत्रों के साथ सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई। समापन प्रसंग तथा विविध सत्रों के प्रमुख अतिथिगण प्रो. डाॅ.पी.बी.सेनगुप्ता जबलपुर, डाॅ.दिवाकर राजपूत, सागर, डाॅ. हेमलता मोहबे, डाॅ.मनीषा शुक्ला डाॅ.सुचित्रा शर्मा और डाॅ.एल.एस.गजपाल थे। प्राचार्य डाॅ. आर.एन.सिंह, संगोष्ठी संयोजक प्रो.बी.एल.कश्यप, डाॅ. अनिल कुमार मण्डावी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
उक्त जानकारी देते हुए, इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजन समिति के मिडिया संयोजक व प्राध्यापक डाॅ. चन्द्रकुमार जैन ने बताया कि दूसरे दिवस के तकनीकी सत्रों में साइबर अपराध की रोकथाम और जागरूकता पर बहुत उपयोगी चर्चा की गई। सभी वक्ताओं ने इस विषय पर गंभीर चिंतन और जागरूकता को समय की बड़ी मांग निरूपित किया।
आयोजन समिति के संरक्षक एवं प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह ने कहा कि ऐसे विकट समय में जब जारी वर्ष के अंत तक साइबर अपराध दोगुना हो जाने का खतरा मंडरा रहा है, यह संगोष्ठी निश्चित रूप से सोचने के नये आयाम और समस्या के निदान के उपाय प्रस्तुत करेगी। डाॅ. सिंह ने विद्वानों के प्रभावी विचार और बड़ी संख्या में प्रस्तुत किए गए शोध-पत्रों पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रारंभ में श्री विजय मानिकपुरी ने दूसरे दिन के विचारणीय विषयों की जानकारी दी।
प्रमुख अतिथि विद्वान डाॅ.पी.बी.सेनगुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी में सामने आए साझा विचारों से विषय का मर्म उद्घाटित होता है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध आज केवल पुलिस या अपराध शास्त्र का विषय नही, बड़ा सामाजिक प्रश्न है। डाॅ.सेनगुप्ता ने साइबर कैफे के उपयोगकर्ताओं को सतर्क रहने की सलाह दी। एक शोध अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर उन्होंने कहा कि 15 से 25 वर्ष के किशोर व युवा इससे ज्यादा दिग्भ्रमित हो रहे हैं। उन्हे बचाना होगा।
अतिथि वक्ता डाॅ.दिवाकर राजपूत ने कहा कि साइबर अपराध विश्व स्तर की समस्या है। इसके कारणों को अपराध की मूलभूत अवधारणाओं के संदर्भ में समझना होगा। वैसे याद रखना चाहिए कि हमारे जिस कार्य से भी कानून का उल्लंघन होता है, वह अपराध है। हम बचपन से ही अधिकार और कर्तव्य की शिक्षा दें। सोशल साइट्स का दुरूपयोग रोकने की चेतना का प्रसार करें। ज्ञान के साधनों का सही उपयोग करना सीखें, तो साइबर अपराध कम हो सकते हैं।
पूर्व प्राचार्य डाॅ. हेमलता मोहबे ने विश्वास व्यक्त किया कि नये युग के साइबर अपराध जैसे ज्वलंत मुद्दे पर आयोजित यह संगोष्ठी अत्यंत उपयोगी और प्रासंगिक है। इससे नये अध्ययन व शोध को बल मिलेगा। अतिथि वक्ता डाॅ.मनीषा शुक्ला, डाॅ.सुचित्रा शर्मा और डाॅ.एल.एस.गजपाल ने साइबर अपराध के विविध पक्षों पर सारगर्भित विचार व्यक्त करते हुए, उसके समाधान के लिए सिस्टम को मजबूत करने तथा हर व्यक्ति को स्वयं आगे आने का आव्हान किया।
शोध वाचकों की प्रभावी भागीदारी –
संगोष्ठी के चतुर्थ एवं पंचम तकनीकी सत्रों में प्रभावी शोध पत्र प्रस्तुत करने वालो में प्रो.पी.डी.सोनकर, प्रो.आर.आर.कोचे, डाॅ.सुषमा मिश्रा, अधिवक्ता ममता मिश्रा, डाॅ.डी.सुरेश बाबू, श्री पवन स्वामी, डाॅ.ओंकारलाल श्रीवास्तव, डाॅ.चन्द्रकुमार जैन, डाॅ.सुनीता अग्रवाल, मोनढी वर्गीस, डाॅ.लक्ष्मण कुमार, डाॅ.बालकदास चैकसे, डाॅ. हेमलता बोरकर, डाॅ.धनेश्वर प्रसाद देवांगन आदि शामिल थे। अंत में प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह तथा आयोजन समिति ने अतिथियों का शाल, श्रीफल व प्रतिक चिन्ह भेट कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन श्री विजय मानिकपुरी ने किया।