संस्कृत विभाग में विषेष व्याख्यान का आयोजन
दिनांक 21/01/2017 को शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के संस्कृत विभाग में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ में पदस्थ संस्कृत साहित्य की सहायक प्राध्यापक डाॅ.पूर्णिमा केलकर जी ने ष्भारतीय दर्शनष् एवं ष्वेदान्तसारष् विषयों पर संस्कृत भाषा में व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का प्रारंभ स्वस्तिवाचन तथा वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ हुआ। तत्पश्चात् सरस्वती पूजन एवं सरस्वती वन्दना की गई। संस्कृत साहित्य परिषद के अध्यक्ष श्री फागेश्वर साहू एवं संस्कृत विभाग के अतिथि व्याख्याता डाॅ.कृष्णदत्त त्रिपाठी जी ने डाॅ.पूर्णिमा केलकर का स्वागत किया। डाॅ.केलकर ने अपने व्याख्यान में सर्वप्रथम दर्शन शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुये षड़ आस्तिक दर्शनों एवं तीन नास्तिक दर्शनों पर क्रमशः प्रकाश डाला। उन्होंने प्रत्येक दर्शन के प्रमुख सिद्धान्तों को विद्यार्थियों को समझाया। इसी क्रम में वेदान्त दर्शन पर प्रकाश डालते हुये सदानन्दयोगीन्द्र कृत वेदान्तसार नामक ग्रन्थ को सविस्तार समझाया। सर्वप्रथम अनुबन्ध चतुष्टयों पर प्रकाश डालते हुये अधिकारी, विषय, सम्बन्ध एवं प्रयोजन की व्याख्या की। तत्पश्चात् साधनचतुष्टय की व्याख्या की। अनुबन्ध चतुष्टय के विस्तृत परिचय के पश्चात् अध्यारोप, अपवाद, ईश्वर, प्राज्ञ, सूक्ष्म शरीर, स्थूल शरीर, पंचीकरण को समझाते हुये अन्त में जीवनमुक्ति तक सम्पूर्ण वेदान्तसार ग्रन्थ को उन्होंने अपने सारगर्भित उद्बोधन में सम्मिलित किया। मोक्षमार्ग के अनुयायाी को किस प्रकार साधना करनी चाहिये ? उसका विस्तृत विवेचन डाॅ.केलकर के द्वारा प्रस्तुत किया गया। उद्बोधन सारगर्भित एवं छात्रोपयोगी सिद्ध हुआ। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.दिव्या देशपाण्डे ने किया। आभार प्रदर्शन अतिथि व्याख्याता डाॅ.महेन्द्र नगपुरे द्वारा किया गयां। सम्पूर्ण कार्यक्रम संस्कृत भाषा में ही सम्पन्न हुआ।