02
October, 2017
दिग्विजय में मुक्तिबोध जन्म शत्वार्षिकी सम्पन्न
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दिग्विजय में मुक्तिबोध जन्म शत्वार्षिकी सम्पन्न
देषभर के साहित्यकारों ने लिया भाग

साहित्य अकादेमी नई दिल्ली और शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव (छ.ग.) के संयुक्त तत्वावधान में गजानन माधव मुक्तिबोध जन्म शताब्दी के अवसर पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आज दिनांक 28 जून 2017 को गरिमामय ढंग से सम्पन्न हुई । इस दो दिवसीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रांतों से पधारे हुए लगभग 40 साहित्य चिंतकों और विचारकों ने मुक्तिबोध के रचना संसार और उनकी रचना धर्मिता पर अपने विचार प्रकट किये। संगोष्ठी के प्रथम दिवस अकादेमी के अध्यक्ष श्री विश्वनाथ त्रिपाठी, सचिव श्री के श्रीनिवास राव और श्री नंदकिशोर आचार्य ने उद्घाटन सत्र में मुक्तिबोध की  साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। नगर के वरिष्ठ नागरिक और स्वंतत्रता सेनानी श्री कन्हैया लाल अग्रवाल ने संगोष्ठी का उद्घाटन किया। मुक्तिबोध की कविता पर श्री लीलाधर जगूड़ी मलय, मंगलेश डबराल, अरूण कमल और प्रफुल्ल शिलेदार ने अपने विशेष व्याख्यान में मुक्तिबोध की प्रसंगिता को दर्शाया। दूसरे सत्र में उनकी कहानियों और उपन्यासों पर अमरनाथ, चित्तरंजन मिश्र और गोरख थोरात ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। महाविद्यालय की ओर से हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ शंकर मुनि राय ने अपने आभार प्रदर्शन में कहा कि मुक्तिबोध ऐसे रचनाकार हैं जिन्हें किसी भौगोलिक सीमा में बांधकर नहीं रखा जा सकता। किन्तु इस महाविद्यालय के लिए विशेष सौभाग्य की बात है कि उन्होंने अपने जीवन के अंतिम छः वर्ष इस संस्था के हिन्दी विभाग को दिये और अपनी कालजयी कृतियों की रचना इसी परिसर में की।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में मुक्तिबोध की डायरी एवं उनके संस्कृति चिंतन पर श्री प्रभात त्रिपाठी , श्री सूर्यनारायण रणसुभे और रेवती रमण ने अपने व्याख्यात्मक विचार प्रस्तुत किये। इसी प्रकार मुक्तिबोध का इतिहासबोध और आलोचना पर श्री विजय बहादुर सिंह, श्री माधव हाड़ा गजानन चव्हाण ने तथा उनकी पत्रकारिता और विविध लेखन पर श्री सूर्य प्रसाद दीक्षित और गणेश विसपुते ने अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट किये।
समापन समारोह में प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने साहित्य अकादेमी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि भविष्य में यह संस्था आपके अन्य कार्यक्रमों के लिए भी आमंत्रित कर रही है। मुक्तिबोध जैसे साहित्यकार का संबंध इस संस्था से होना हमारे लिए अत्यंत ही गौरव का विषय है। हम चाहते है कि मुक्तिबोध के इस जन्म शताब्दी वर्ष में और भी आयोजन करने का हमें अवसर प्राप्त हो। आयोजन समिति के सहयोगी और इस संस्था के पूर्व जनभागीदारी अध्यक्ष श्री अशोक चैधरी ने इस अवसर पर आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह अत्यंत सुखद संयोग है कि कम समय में इतना अच्छा आयोजन हुआ। यह साहित्यिक नगर इस तरह के आयोजन के लिए साहित्य अकादेमी के प्रति अभारी है। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के सम्पादक श्री कुमार अनुपम ने महाविद्यालय के प्रति आभार प्रकट किया और भविष्य में और भी आयोजन करने की अपनी इच्छा व्यक्त की।
इस दो दिवसीय आयोजन में नगर सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्से से आये हुए साहित्यकारों सहित मुक्तिबोध के चारों पुत्र श्री रमेश मुक्तिबोध, श्री दिवाकर मुक्तिबोध, श्री दिलीप मुक्तिबोध और गिरीश मुक्तिबोध ने अपनी उपस्थिति से समारोह को सफल बनाया। नगर के वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. गणेश खरे, गणेश शंकर शर्मा, सरोज द्विवेदी, प्रभात तिवारी, मोहन अग्रहरि, आत्माराम कोसा डाॅ चन्द्रकुमार जैन सहित गिरीश ठक्कर, लोकेश शर्मा, डाॅ. सुषमा तिवारी, डाॅ. बृजबाला उके, नरेश श्रीवास्तव योगेश अग्रवाल, मनोज शुक्ल, चंद्रशेखर शर्मा सहित प्राध्यापक डाॅ ओंकार लाल श्रीवास्तव, प्रवीण साहू, लालचंद सिन्हा, डाॅ. बी.एन. जागृत, श्रीमती चन्द्रज्योति श्रीवास्तव, डाॅ. नीलम तिवारी, श्रीमती सोनल मिश्रा, श्रीमती मीना प्रसाद, श्रीमती सुमीता श्रीवास्तव, श्रीमती नीलू श्रीवास्तव बेगम अविदा खान, डाॅ. जयती विश्वास आदि ने अपनी उपस्थिति से समारोह को गरिमा प्रदान की।

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