05
February, 2015
दिग्विजय महाविद्यालय में गठबंधन की राजनीति एवं लोकतंत्र के भविष्य पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का गरिमामय शुभारंभ
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राजनांदगांव। देश की एकता, अखण्डता और सुरक्षा को सर्वोपरि रखना सबसे बड़ा कर्तव्य है। राजनीतिक दलों के गठबंधन की सरकार हो या पूर्ण बहुमत प्राप्त दल का शासन, तय यह होना चाहिए कि व्यक्ति या पार्टी से पहले देश होगा। राष्ट्र प्रथम की भावना पर ही लोकतंत्र का भविष्य अवलम्बित है। यह भारत के हर नागरिक को समझना चाहिए।

उक्त उद्गार महापौर श्री मधुसूदन यादव ने यहाँ शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग की दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किया। मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए श्री यादव ने कहा कि देश को लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर चलाना सबसे बड़ी जरूरत है। देश की विविधता और आवश्यकताओं को देखते हुए गठबंधन की राजनीति का दौर आगे भी चल सकता है, लेकिन तय यही होना चाहिए कि जनता और जनतंत्र सर्वोपरि रहे।

संगोष्ठी में उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करती हुई जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष और डोंगरगढ़ की विधायक श्रीमती सरोजनी बंजारे ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संगोष्ठी का विषय गंभीर, रोचक और चुनौतीपूर्ण भी है। इससे गठबंधन की राजनीति के कई पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने का अच्छा अवसर मिलेगा।

आयोजन के संरक्षक और प्राचार्य डाॅ. आर.एन.सिंह ने बदलते परिवेश में भारत में गठबंधन सरकारों की नई हलचलों की चर्चा की। डाॅ.सिंह ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करना सबसे अहम् स्वप्न है। इसलिए देश की राजनीति पर हमारे स्वप्न और लोकतंत्र दोनों का भविष्य निर्भर है। शोधार्थी इस पर मंथन करेंगे, तो अच्छे परिणाम आयेंगे। विभागाध्यक्ष डाॅ.अंजना ठाकुर ने स्वागत उद्बोधन दिया। आयोजन सचिव प्रो.डी.सुरेश बाबू ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। संयोजक डाॅ.अमिता बख्शी एवं कु.प्रियंका वैष्णव ने आशा व्यक्त की कि संगोष्ठी के प्रतिभागी परिणाममूलक सुझाव देंगे।

विशिष्ट अतिथि समाज सेवी और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सुरेश एच.लाल ने भारत में गठबंधन की राजनीति के इतिहास पर सारगर्भित तथा उपयोगी उद्बोधन दिया। सन् 1957 से आज तक गठबंधन के विकास क्रम पर उन्होंने चर्चा की और उसके संघर्ष, परिणाम की संभावनाओं को भलीभांति समझाया। विशिष्ट अतिथि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव, पूर्व अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डाॅ. युगलकिशोर भारती, संस्कृत काॅलेज के प्राचार्य और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के संस्थापक रजिस्ट्रार डाॅ.अंजनी शुक्ला ने संगोष्ठी के विषय को विविध कोणों से स्पष्ट करते हुए प्रभावशाली विचार बिन्दु देकर आयोजन को समृद्ध बनाया।

अतिथियों द्वारा कार्यक्रम में संगोष्ठी की संक्षेपिका का विमोचन किया गया। प्रारंभ में अतिथियों ने महंत राजा दिग्विजय दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। बाद में डाॅ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सभागृह में माँ सरस्वती पूजन, सरस्वती वंदन के बाद अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह सहित विभागीय प्राध्यापकों ने किया। उद्घाटन सत्र के साथ-साथ विविध तकनीकी सत्रों का प्रभावशाली संचालन डाॅ.चन्द्रकुमार जैन ने किया। डाॅ.अमिता बख्शी ने सबका आभार माना।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दो तकनीकी सत्र भी पहले दिन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुए। उक्त जानकारी राष्ट्रीय सगोष्ठी आयोजन समिति के मीडिया संयोजक डाॅ.चन्द्रकुमार ने देते हुए बताया कि आमंत्रित अतिथि विशेषज्ञ डाॅ. युगल भारती, डाॅ.अंजनी शुक्ला, डाॅ.संजय श्रीवास्तव, और प्रो.डाॅ.वेणुगोपाल रौतिया,डाॅ.बी.एन.मेश्राम प्राचार्य, डाॅ.श्रीमती गंधेश्वरी सिंह एवं प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह का मार्गदर्शन मिला। शोध पत्र वाचकों में डाॅ.कीर्तन साहू, डाॅ.शकील हुसैन, डाॅ.अंजनी कश्यप, डाॅ.प्रेमलता मिश्रा, डाॅ.प्रमोद यादव, डाॅ.मालती तिवारी, कु.आबेदा बेगम भी शामिल थी। दो दिवसीय संगोष्ठी विषय की रोचकता और व्यापकता के साथ-साथ भारत के वर्तमान दौर के सबसे ज्वलंत मुद्दे पर केन्द्रित होने के कारण अत्यंत प्रासंगिक बन गई है। अंत में विभागाध्यक्ष डाॅ.अंजना ठाकुर एवं संयोजक डाॅ.अमिता बख्शी ने सबका आभार माना।

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