राजनांदगांव दिनांक 02 फरवरी 2015। षासकीय दिग्विजय स्वषासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छत्तीसगढ आर्थिक परिशद् का दो दिवसीय सातवाॅ वार्शिक सम्मेलन आज प्रारंभ हो गया। सम्मेलन में छत्तीसगढ में कृशि, खाद्य सुरक्षा तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर विमर्ष किया जा रहा है। यह सम्मेलन महाविद्यालय के अर्थषास्त्र विभाग द्वारा आयोजित और स्वषासी प्रकोश्ठ तथा छत्तीसगढ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय परिशद् द्वारा प्रायोजित है। सम्मेलन का उद्घाटन , मुख्य अतिथि छत्तीसगढ षासन के वित्त एवं योजना विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री डी.एस.मिश्रा ने माॅ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवल कर किया। छात्राओं ने सरस्वती वंदना का सुमधुर गान किया। अध्यक्षता भारतीय आर्थिक परिशद् के सचिव डाॅ अनिल कुमार ठाकुर ने की। विषिश्ट अतिथि छत्तीसगढ आर्थिक परिशद् के अध्यक्ष डाॅ हनुमन्त यादव , अर्थषास्त्री ,कलेक्टर श्री अषोक अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक डाॅ.संजीव षुक्ला तथा जिला पंचायत की सीईओ डाॅ. प्रियंका षुक्ला थीं।
प्रारंभ में प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने स्वागत उद्बोधन में महाविद्यालय की गौरवषाली परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा की अर्थषास्त्र परिशद् में सम्मेलन से षोध तथा आर्थिक विकास को नई दिषा मिले, ऐसी हर संभव कोषिष की जायेगी। अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डाॅ. सिंह, डाॅ चन्द्रिका नाथवानी, डाॅ मीना प्रसाद, डाॅ सुमीता श्रीवास्तव कु. डाली अग्रवाल आदि ने किया। इस अवसर पर सम्मेलन की संक्षेपिका का विमोचन मुख्य अतिथि ने किया ।
मुख्य अतिथि अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एवं नियोजन छ.ग. षासन श्री डी.एस मिश्रा ने एक प्रेजेन्टेषन ष्राइट टु फूड एवं न्यूट्रिषनष् के माध्यम से खाद्यान्न सुरक्षा, भोजन के अधिकार जैसे मुद्दों पर प्रभावी मार्गदर्षन दिया। उन्होंने प्रख्यात अर्थषास्त्री एडम स्मिथ, प्लेटो, अरस्तू, माक्र्स, अमत्र्य सेन आदि के विचारों का उल्लेख करते हुए समझाया कि इस धरती पर जिसका भी जन्म हुआ है, भोजन पर उसका अधिकार है। सवाल है कि राजनीतिक इच्छा षक्ति और प्रभावषाली क्रियान्वयन से इस अधिकार की रक्षा कैसे भी की जाये।
श्री मिश्रा ने अर्थषास्त्र के श्रम विभाजन, अधिकतम लाभ जैसे सिद्धांतों के अलावा नैतिक अभिप्रेरण तथा साझा प्रयासों की अहमियत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भोजन का अधिकार सबके समझदार सहयोग और समन्वय से ही परवान चढ सकता है। भारत को दुनिया में भूख से सबसे ज्यादा त्रस्त पंद्रह देषो की फेहरिस्त से बाहर निकालने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। श्री मिश्रा ने कहा कि भोजन की उपलब्धता, उस तक पहुॅच और उसकी पर्याप्तता में ही भोजन के अधिकार भी सार्थकता है। उन्हांेने ने विशय को स्पश्ट करने के लिए विविध संवैधानिक प्रावधानों की भी जानकारी देते हुए प्रतिभागियों से सवालों के जवाब भी दिए। श्री मिश्रा ने घोशणा की कि दिग्विजय महाविद्यालय में जो षोध कार्य व परियोजनाएं की जाएंगी उनके लिये राषि प्रदेष के योजना विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी।
अर्थषास्त्री एवं परिशद् के प्रांतीय अध्यक्ष, डाॅ. हनुमन्त यादव ने विद्वतापूर्ण उद्बोधन में छत्तीसगढ में आत्महत्या में कारणों और उन पर रोक लगाने के उपायों पर सारगर्भित चर्चा की। उन्होंने षोधार्थियों को इस दिषा में काम करने का आव्हान किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. अनिल कुमार ठाकुर ने कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर आर्थिक परिशद् का महत्वपूर्ण कार्य आर्थिक समस्याओं का अध्ययन और निराकरण करना है। छत्तीसगढ में परिशद् के अभी सात साल पूरे हुए हैं। उन्होनें परिशद् के जर्नल के आगाज के लिए 50 हजार रु. के आरंभिक अनुदान की घोशणा भी की। उन्हांेनें आषा व्यक्त कि इससे परिशद् की गतिविधियों का प्रसार होगा। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेट किये गए। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. बी. एन. जागृत ने तथा डाॅ.रविन्द्र ब्रम्हे ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।