06
February, 2015
दिग्विजय महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग की राश्ट्रीय संगोश्ठी यादगार बनी
Posted in Seminar category - by

शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन छत्तीसगढ राज्य हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर ने तकनीकी सत्र और समापन प्रसंग पर कहा कि जिस दिन लोकतंत्र मजबूत होगा, गठबंधन का पलायन हो जायेगा। ब्रिटेन का पुराना जीवंत लोकतंत्र मजबूत है इसलिए वहां अमन-चैन का माहौल है। श्री नैयर आयोजन के मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे।

श्री नैयर ने कहा कि देश में नालंदा एवं तक्षशिला जैसे व्यावहारिक विश्वविद्यालयों में पूरे विश्व के शिक्षाविद् अध्ययन करने भारत आते थे। एकता, समता और समरसता का अनूठा उदाहरण भारत में ही देखने को मिलता हंै। गठबंधन यदि एक मूल्य आधारित हो, नीतिपरक विचार समाहित हो, व्यक्तिपरक के बजाय वस्तुपरक हो तो आदर्श स्वरुप का गठबंधन होगा ऐसा मान सकते हं

राष्ट्रीय संगोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रभाकर चैबे ने अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में कहा कि लोकतंत्र ने सभी को समता, समानता और स्वतंत्रता दी है। देश के पिछडे वर्गों के साथ ही महिलाओं को चेतना दी। लोकतंत्र को एक संस्कृति की तरह अनुसरण करें तो देश में गठबंधन स्फूर्त गति से संचालित किया जा सकता है।

आयोजन समिति के संयोजक एवं प्राचार्य डाॅ. आर.एन.सिंह ने प्रास्तावित संबोधन में कहा कि इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी के तकनीकी सत्रो से गठबंधन की राजनीति को समझने तथा लोकतंत्र के मूल्यों को परखने की नई दृष्टि मिलेगी। शाल,श्रीफल और सम्मान प्रतीक से अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह, विभागाध्यक्ष डाॅ.अंजना ठाकुर, संयोजक डाॅ. अमिता बख्शी, सचिव प्रो. डी. सुरेश बाबू, प्रियंका वैष्णव आदि ने किया।
प्रतिष्ठित समाजसेवी और महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति की पूर्व अध्यक्ष श्री अशोक चैधरी ने अपनी सलाह में कहा कि 37 वर्षो की गठबंधन सरकार के कारण आज भारत पिछड गया है। इस पर  सभी को विचार करने की जरुरत है। हम तय करे कि हर हाल में लोकतंत्र की रक्षा हो।

उक्त जानकारी देते हुए आयोजन समिति के मीडिया संयोजक डाॅ.चन्द्रकुमार जैन ने बताया कि अमरकंटक अनुसूचित जनजाति केन्द्रीय विश्वविद्यालय की राजनीति विज्ञाान के प्रो. डाॅ. अनुपमा शर्मा ने भारत की गठबंधन सरकार के बारे में कहा कि गठबंधन की राजनीति एवं सरकार के लिए एक आदर्श माॅडल तलाशने की जरुरत है। उन्होंने आगे कहा कि गठबंधन सरकारों में व्यक्तियों का गठबंधन हो गया है, जबकि दलों का और विचारों का गठबंधन होना चाहिए।

द्वितीय तकनीकी सत्र में महाराष्ट्र से आए प्रो. डाॅ. संजीव सिरपुरकर, डाॅ. वेदमती मण्डावी, डाॅ. नागरत्ना गनवीर, श्री टी.एन. मिश्रा ने अपने शोध पत्र पढे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शासकीय महाविद्यालय, बसना के प्राचार्य डाॅ. आर. के. पुरोहित ने कहा कि गठबंधन का उद्देश्य सत्ता हथियाना नहीं है, बल्कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। सफल गठबंधन के लिए नेतृत्व का ज्यादा महत्व है। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय विधि विभाग के प्रो. डाॅ. वेणुधर रौतिया ने प्रभावशाली विचार व्यक्त करते हुए गठबंधन सरकारों के गठन और संचालन की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए भारत में गठबंधन सरकारों के साथ-साथ लोकतंत्र के भविष्य पर सारगर्भित चर्चा की। चैकी महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ.बी.एन. मेश्राम ने कहा कि गठबंधन की राजनीति आज के  दौर का सर्वाधिक चर्चित विषय है। इस पर प्रस्तुत विचारों से शोध छात्रों को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि राजनीति उच्च मूल्यों के समावेश पर ही लोकतंत्र की सफलता निर्भर है।

दूसरे दिन दोपहर बाद हुए तकनीकी सत्र में डाॅ. मिताली मेश्राम, प्रो.डी. सुरेश बाबू, डाॅ.शंकर मुनिराय, डाॅ.बी.एन.जागृत, डाॅ.उषा सोनवानी, डाॅ. शैलेन्द्र सिंह, डाॅ. वेदवती मंडावी, डाॅ. टी.एल.मिश्रा और श्री सागर ताम्रकार आदि ने शोध पत्र वाचन किया। दो दिवसीय गरिमामय आयोजन के सभी सत्रों का प्रासंगिक, प्रभावी और यादगार संचालन महाविद्यालय के प्राध्यापक डाॅ.चन्द्रकुमार जैन ने किया।

Preview News राश्ट्रीय शोध संगोश्ठी 6 एवं 7 फरवरी को आयोजित

Next News छत्तीसगढ हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री रमेश नैयर ने दी हिमांशु जैन को बधाई