05
January, 2017
दिग्विजय महाविद्यालय में राज्य स्तरीय इफेक्टिव टीचिंग एवं लर्निंग मैथेडोलाॅजी पर कार्यशाला
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दिग्विजय महाविद्यालय में राज्य स्तरीय कार्यशाला

शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय में राज्य स्तर के प्राध्यापकों हेतु इफेक्टिव टीचिंग एवं लर्निंग मैथेडोलाॅजी पर एक-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह ने कार्यशाला के विषयवस्तु को स्पष्ट करते हुये कहा कि आज प्राध्यापक को स्वयं आत्मचितंन और आत्ममंथन की आवश्यकता है, क्योंकि शिक्षा का प्रतिमान गिर रहा है और कक्षा में छात्र विषय से जुड़ नही पा रहे हैं। प्राध्यापक वन वे ट्रेफिक की तरह कक्षाएं लेते हैं, लेकिन जरूरी यह है कि हम यह देखें की हमारा छात्र क्या चाहता है ? इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित डाॅ. युगल भारती निवृतमान अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग ने बतलाया कि यह एक निराशाजनक स्थिति है कि उच्च शिक्षा अध्यापन पर मैथेडोलाॅजी पर न ही कोई व्यवस्था है न कोई किताब लिखी गई है। हमारी शिक्षा व्यवस्था मूल्य आधारित नही है वरन अन्तर्विरोधों से भरी हुई है। विद्यार्थी का रोल माॅडल आज शिक्षक नहीं सलमान खान है।
हमारी शिक्षा व्यवस्था समानता मूलक होनी चाहिए। हमारी पद्धति प्रकृति का रक्षण करने वाली मानव को मानव बनाने वाली होनी चाहिए, जिसका उद्देश्य यह हो कि गरीब से गरीब छात्र का भी सम्मान होना चाहिए। विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित द्वितीय वक्ता प्रो.एस.के.जाधव विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलाजी विभाग पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने टीचिंग लर्निंग प्रोसेस पर पी.पी.टी द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो.जाधव ने बतलाया कि जितने टीचर्स होते हैं, उतनी ही पढ़ाने की पद्यतियां भी होती है। सर्वप्रथम एक अध्यापन योजना होना चाहिए। आज का अध्यापक मूल रूप से टेक्नोलाजी ट्रांसफर का कार्य करता है। अतः उसे नवीन तकनीकि पद्यतियों का ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने टीचर, टिचिंग और लर्निंग के संदर्भ में महत्वपूर्ण तथ्यों का विवेचन और विवरण प्रस्तुत किया।
द्वितीय सत्र में महाविद्यालय के प्रो.डाॅ.के.एन.प्रसाद ने सभी प्राध्यापकों के पांच ग्रुप बनाकर उन्हे मैथर्ड आॅफ इफेक्टिव टिचिंग, क्रियेटिव एण्ड इवेल्यूएटिंग टीचिंग, शेयर यूवर एक्सपेरियएन्सेस, ड्यूरिंग टिचिंग इन द क्लास, एरिआस आफ फीडबैक फार्म द स्टूडेन्ट पर चर्चा करवाई तथा अध्यापन संबंधी पद्धतियों पर सभी प्राध्यापकों से संवाद कराया।
कार्यक्रम में राज्य के अनेक प्राध्यापक उपस्थित हुए थे तथा यह कार्यक्रम यू.जी.सी. अनुदान द्वारा करवाया गया, जिसके समन्वयक डाॅ.शबनम खान थी। कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ.संजय ठिसके ने किया। कार्यक्रम के पश्चात् सभी प्राध्यापकों को प्रमाण पत्र दिया गया।

   

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