दिग्विजय महाविद्यालय के भूगोल के विद्यार्थियो द्वारा राजस्थान का शैक्षणिक भ्रमण
शासकीय दिग्विजय स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय राजनांदगांव छ0ग0 के भूगोल एम.ए. तृतीय सेमेस्टर के छात्र-छात्राएंु शैक्षणिक भ्रमण के लिए दिनांक 9.10.2016से 17.10.2016 तक राजस्थान गये थे। इस भ्रमण पर विभागाध्यक्ष डाॅ. के.एन. प्रसाद, कु. गीता बंजारे एवं प्रयोगशाला तकनिशियन एम. के. टेम्भुलकर भी साथ थे।
छात्रों ने सर्वप्रथम राजस्थान के पूर्वी भौगोलिक क्षेत्र का अवलोकन किया जहाॅं धान की लहलहाते पौधे, मक्का की खेती, चम्बल नदी पर बने बैराज से निकलते आगरा नहर और थर्मल पावर देखा साथ ही कोटा में वर्तमान समय में इंजीनियरिंग एवं मेडिकल के लिए तेजी से विकसित कोचिंग उघोग की एक झलक देखी। राजस्थान में दशहरा के लिए प्रसिद्ध कोटा दशहरा की भारी भीड़ थी जहां बड़ी संख्या में विदेशी े नागरिकों की भी उपस्थिति थी।
चित्तौड़गढ़ के किले की स्थिति आस-पास के क्षेत्रों का अवलोकन किया जैसे- प्राचीन अरावली पर्वतश्रेणी की बनावट, मीराबाई की मंदिर, समाधीश्वर मंदिर, पद्मावती की महल को देखा और उसके अभेद्धता को समझा साथ ही वीरस्तंभ व कीर्ति स्तंभ थे जो अलग-अलग समय में राजाओं द्वारा निर्मित है। वहाॅ के वनों में विभिन्न प्रकार के औषधीएं पौधे पाई जाती हैं।
उदयपुर जिसे झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है, उस क्षेत्र का भ्रमण कर अवलोकन किया जहां शहर के किनारे पर्वत से घिरे हुए तथा झीलांे का नजारा अद्भूत था। वहां सीटी प्लेस गये जहां 10 राजाओं द्वारा महल का निर्माण किया गया है जो कि सात मंजिलों व कई कलाकृति रूप देखे जो आकर्षक पूर्ण था। राजाओं के द्वारा निर्मित विशाल दरवाजों , काॅच से निर्मित खिड़कियाॅं, आभूषण, सिंहासन, सुंदर चित्रकारी को बारीकी से देखे व समझे तथा साथ में सहेलियों का बाड़ी देखे जहां बिन बादल बरसात की व्यवस्था राजमहल की महिलाओं के लिए किया गया था। बहुत से दर्शानार्थी देश-विदेश से आये थे साथ ही स्कूल के बच्चे भी देखने आये थे।
पुष्कर में प्रजापति ब्रम्हादेव जी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर व ब्रम्हकुण्ड देखने को मिला। साथ ही बाजार में हजारो लोगो का आवागमन था। जहां विभिन्न प्रकार के राजस्थानीय वस्तु देखने को मिला। अजमेर में निर्मित सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दिन चिश्ती का दरगाह देखा जहां बड़ी मात्रा में लोगों की आस्था की झलक दिखाई पड़ी।
राजस्थान की राजधानी जयपुर जिसे राजा जयसिंह द्वारा भारत का सबसे पहला नियोजित शहर बसाया गया था। इसे पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है। यहां आमेर का किला देखा जो जोधाबाई का मायका है। यहां राजाओं द्वारा निर्मित शीश महल दीवाने आम, दीवाने खास, राजाओं का शस्त्र, वस्त्र, आभूषण, रसोई सामग्री व सुरंग देखने को मिला। उसके बाद सिटी प्लेस में महाराजा जयसवाई मानसिंग द्वारा निर्मित महल गये जहां पर अनेक आकृतियो से निर्मित, दरवाजे, खिड़किया, कमरो की बनावट, शीशे से निर्मित महल देखे साथ ही वहाॅ मां दुर्गा की मंदिर भी था। पूर्णतः महलों का निर्माण पत्थरों से हुआ है।
हवा महल गुलाबी नगर जयपुर की पहचान है। स्थापत्य कला में अद्भूत है। यह शहर के शहर के मध्य स्थित है। इसे राजा सवाई प्रतापसिंह ने निर्माण किया था उसके ईष्ट देव श्री कृष्णा के भक्त थे इसलिए उन्होने श्री कृष्णा के मुकुट के समान बनवाया है। वहाॅ अनेक छोटी-छोटी खिड़कियाॅ व पांच मंजिला भवन है उन पर मेहराबदार छते तथा लटकते हुये छज्जे है, जिनकी खूबसूरती और बेहतरीन नक्काशी देखते बनती है।
भारत के पांच नगरो में बनाये गये जंतर-मंतर में एक नगर जयपुर है। यहांे खगोल से संबंधित जानकारी प्राप्त हुई। यहां समय के अनुसार ग्रह, नक्षत्र, दिन-रात को जानने हेतु पत्थरों से बनाई गई घड़िया, राशियाॅ, अंक्षाश-देशांतर को समझने के लिए निर्मित यंत्र आदि देखन से उस समय के कारीगीरी का अद्भूत व उत्कृष्ट सांस्कृतिक दृश्यवली देखने को मिलता है।भूगोल में मानव प्राकृतिक संबंध से उत्पन्न सांस्कृृतिक दृश्यवली न सिर्फ हमारी ऐतिहासिक धरोहर है बल्कि पर्यटन उघोग का प्रमुख आधार है। राजस्थान का यह वाक्य ’’पधारो मारो देश’’ जिस सुरिले अंदाज में देशीवाद्य यंत्र पर आमेर किले के एक कोने में 70 वर्ष के बुर्जुग गा रहा था इससे वहां बार-बार जाने की इच्छा प्रबल होती है।