25
February, 2015
भारतीय लेखको ने सांस्कृतिक पक्षो को उद्घाटित किया
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शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग में नेट/स्लेट तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हेतु व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डाॅ. आभा रुपेन्द्र पाल विभागाध्यक्ष विभाग प.रवि.शंकर शुक्ल वि.वि. रायपुर थी। प्रारंभ में डाॅ. शैलेन्द्र सिंह द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियो एवं समूह बनाकर पढाई करने के लाभ पर प्रकाश डाला। डाॅ आभापाल ने कहा कि प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन का प्रकृति यूरोपीय और चीनी प्रवृत्तियो से भिन्न रही है। यूरोप और चीन में जहाॅ तिथि क्रम पर अत्यधिक बल दिया गया है, वही भारतीय लेखको ने तिथि क्रम के बजाय सांस्कृतिक पक्षो को अधिक उद्घाटित किया है। यही वजह है कि प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए शुद्ध ऐतिहासिक सामाग्री अन्य देशो का तुलना में कम है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के अध्ययन हेतु आधारशिला यद्यपि साहित्यिक स्त्रोत है तथापि पुरातात्विक स्त्रोतो की उपेक्षा नही की जा सकती जहां तक आधुनिक भारतीय इतिहास का प्रश्न है, इससे संबंधित सामाग्रियो में पुरालेखो सामाग्री, जीवनीयाॅं, मौखिक साक्षात्कार, सृजनात्मक साहित्य प्रमुख है। अंत में आभार डाॅ. पी.डी.सोनकर द्वारा दिया गया । इस व्याख्यान माला में प्रो. नंदकिशोर सिन्हा, प्रो. अजरा तबस्सुम, एवं समस्त छात्र-छात्रएं उपस्थित थे।

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