21
January, 2015
दिग्विजय महाविद्यालय में दीक्षांत एवं पदक वितरण समारोह सम्पन्न. मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय की साहित्यिक विरासत की सरहाना की.
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षासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के वार्शिक दीक्षांत एवं स्वर्ण पदक वितरण समारोह में माननीय मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने महाविद्यालय की साहित्यिक विरासत को गौरवपूर्ण बताया। समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए आपने कहा कि मैं गौरव के साथ इस बात का उल्लेख करता हॅूं कि यह महाविद्यालय मेरे विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। महाविद्यालय की अनुसंधान गतिविधियों का विषेश उल्लेख करते हुए आपने कहा कि इस संस्था के विकास के लिए मैं संकल्पित हूॅं।

इससे पूर्व आपने महाविद्यालय के प्रषासनिक भवन का लोकार्पण सहित एक करोड़ की लागत से बनने वाले अध्ययन कक्ष का भूमिपूजन एवं महाविद्यालय के वाई-फाई कैम्पस वेबसाइट का उद्घाटन भी किया। साथ ही नर्सिंग हाॅस्टल के आधे भाग को महाविद्यालय के महिला छात्रावास के लिए तथा पेण्ड्री में 6 एकड़ भूमि महाविद्यालय के लिए प्रदाय करने की भी घोशणा की। माननीय सांसद श्री अभिशेक सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में विषिश्ट अतिथि के रूप में माननीय महापौर श्री मधुसूदन यादव, श्री अषोक षर्मा, श्री लीलाराम भोजवानी, श्री खूबचंद पारख, श्री सुरेष एच.लाल, श्री संतोश अग्रवाल, श्री सुरेष डुलानी, श्री भरत वर्मा, श्री सचिन बघेल, श्री कोमल सिंह राजपूत, श्री रामजी भारती, श्री नीलू षर्मा, श्री षिव वर्मा एवं जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष श्रीमती सरोजनी बंजारे और पूर्व महापौर श्रीमती षोभा सोनी आदि उपस्थित थी। उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय में वाई-फाई सुविधा के लिए सांसद माननीय श्री अभिशेक सिंह ने 8 लाख रू की राषि सांसद निधि से प्रदान की थी जिससे इस परिसर में आज वाई-फाई सुविधा का उद्घाटन किया गया।

मुख्य अतिथि माननीय श्री रमन सिंह के महाविद्यालय प्रवेष पर एन.सी.सी. कैडेट्स द्वारा गार्ड आॅफ आॅनर दिया गया। उसके बाद संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा षंख ध्वनि एवं स्वस्ति वाचन कर प्रांगण में मंगल प्रवेष कराया गया। प्राचार्य डाॅ. आर.एन.सिंह ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि श्रेश्ठ परीक्षा परिणाम के लिए इस संस्था को प्रदेष में दूसरा स्थान प्राप्त है। सीकल सेल पर अनुसंधान करने वाली डाॅ. सीमा त्रिपाठी का उल्लेख करते हुए आपने कहा कि इस क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करने वाला यह पहला महाविद्यालय है। जनभागीदारी अध्यक्ष एवं डोंगरगढ़ की विधायक श्रीमती सरोजनी बंजारे ने संबोधन में महाविद्यालय की सतत प्रगति की कामना की।

समारोह के अध्यक्ष माननीय सांसद श्री अभिशेक सिंह ने महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को संदेष दिया कि परिसर सहित नगर को सफाई अभियान से जोड़े तथा नगर को आदर्ष षहर बनाने का सपना साकार करें। महाविद्यालय द्वारा लिये गये गोद-ग्राम (डीलापहरी) का उल्लेख करते हुए आपने इसे महाविद्यालय के लिए एक नया अभियान बताया और महाविद्यालय परिवार को इसके लिए बधाई दी।

महापौर माननीय श्री मधुसूदन यादव ने महाविद्यालय में वाई-फाई कैम्पस वेबसाईट के षुभारंभ को महत्वपूर्ण बताया। आपने कहा कि यह माननीय सांसद श्री अभिशेक सिंह का सपना था जो आज साकार हुआ। आपने महाविद्यालय के बाउण्ड्रीवाल तथा रोड़ निर्माण के लिए निगम में जमा राषि 58 लाख से षीघ्र ही कार्य प्रारंभ करने की घोशणा की। वाई-फाई के वार्शिक मेंटेनेंस में आने वाले खर्च की आधी राषि आपने नगर निगम से प्रदान करने का आष्वासन भी दिया। समारोह को छात्रसंघ अध्ययक्ष श्री आकाष त्रिपाठी ने विद्यार्थियों की ओर से संबोधित किया।

पहली बार दीक्षांत: महाविद्यालय के 58वें पदक वितरण समारोह के अवसर पर पहली बार दीक्षांत समारोह भी आयोजित किया गया। इसमें व्यावसायिक पाठ्यक्रम (एड आॅन कोर्स) के तहत सूचना प्रौद्योगिकी, स्पोकन इंग्लिष के विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि माननीय डाॅ. रमन सिंह के हाथों पत्रोपाधि प्रदान की गई।

स्वर्ण पदक वितरण: प्रत्येक वर्श की भांति इस वर्श भी समारोह में महाविद्यालय के प्रतिभाषाली छात्र-छात्राओं को स्वर्ण मंडित पदक प्रदान कर सम्मानित किया गया। साथ ही समारोह में डाॅ. महेष श्रीवास्तव द्वारा लिखित बैगा जनजाति पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया।

आकर्शक नाट्य प्रस्तुति : दिग्विजय महाविद्यालय के सांस्कृतिक मंच पर पहली बार संस्कृत नाटिका ’’वंदे भारत मातरम्’’ का मंचन किया गया। डाॅ. षंकर मुनि राय द्वारा निर्देषित इस नाटक को संस्कृत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रदर्षित किया गया, जिसकी सभी अभ्यागत अतिथियों ने सरहाना की। इसके उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का क्रम निरंतर रहा जिसमें छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का षानदार प्रदर्षन किया।

डाॅ. चन्द्रकुमार जैन ने समारोह का गरिमामय ढंग से संचालन किया तथा छात्रसंघ प्रभारी श्रीमती चन्द्रज्योति श्रीवास्तव ने समारोह के अंत में आभार प्रकट किया।

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