28
March, 2015
ऐतिहासिक दस्तावेजों एवं सिक्कों की प्रदर्शनी
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शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा सृजन संवाद भवन में ऐतिहासिक दस्तावेजों एवं सिक्कों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि इतिहासकार डाॅ. रमेन्द्रनाथ मिश्र, रायपुर एवं अध्यक्ष श्री सुशील कोठारी संपादक सबेरा संकेत थे। प्रारंभ में कार्यक्रम का संचालन करते हुये डाॅ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ का इतिहास समृद्धशाली रहा है। आवश्यकता है कि पुराने दस्तावेज एवं सिक्कों की जानकारी अधिक से अधिक होने पर इतिहास की समग्र जानकारी प्राप्त होगी। प्राचार्य डाॅ.आर.एन.सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजनों से इतिहास के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। नये छात्र-छात्राओं को शोध के क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। कार्यक्रम की अपेक्षा करते हुए श्री सुशील कोठारी ने कहा कि- इतिहास समाज एवं नई पीढि़ को नई दिशा देता है। हम किसी भी विषय के हों, इतिहास की जानकारी हमारे जीवन में आवश्यक है। राजनांदगांव के समृद्धशाली इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारियाँ शोध के माध्यम से आगे आनी चाहिए।

मुख्य अतिथि डाॅ. रमेन्द्रनाथ मिश्र ने कहा कि, ऐतिहासिक दस्तावेज इतिहास के महत्वपूर्ण श्रोत होते हैं। छत्तीसगढ़ जमीनदारियों एवं गढों का गढ़ रहा है। दिल्ली से भी पुरान संग्रहालय रायपुर में महंत घांसीदास संग्राहल स्थापित है। छत्तीसगढ़ में देश का सबसे प्राचीन आहात सिक्का (पंचकार्क) आरंग में मिला है। सर्वाधिक अभिलेख छत्तीसगढ़ के स्वर्णयुगिन राजा महाशिवगुप्त बालार्जुन के समय मिलता है। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक दस्तावेज नागपुर के भोसले राजाओं के समय प्राप्त होता है। आभार प्रदर्शन विभागाध्यक्ष प्रो.पी.डी.सोनकर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में श्री प्रेमसिंघल, श्री डी.सी.जैन, प्रो.नंदकिशोर सिन्हा, प्रो.अजरा तबस्सुम, प्रो. विजय मानिकपुरी, प्रो. हितेन्द्र कोसरे एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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